पिता के साथ अपने नन्हें हाथों से आसमान के तारों को जोड़ती मैं नन्हीं लीलावती मेरे लिए भाग्य केे कटोरे में कोई सूराख़ नहीं तय था न उसे अपने अंक में समाने वाला आग में तपता घड़ा समय का एक निर्मम अन्तराल लील गया एक तारे को मुझे बस याद रहा पिता का एक बार… Continue reading लीलावती
एक कटोरी सृष्टि
भर कटोरी पानी में पलक झपकाया सतह पर जा गिरी थी अभी जो शीर्ष पर अनम्य खड़ी प्रियतम के गालों पर फड़फड़ाती स्वप्नों की पहरेदार दु:खों को चखती फिर गारती ढीठ उमरदार मरने को हर क्षण तैयार उखड़ पड़ी मुक्त हो कड़ी हुई और फिर गड़ गई कुशल तैराक टूट कर आँख में तैरती बरौनी… Continue reading एक कटोरी सृष्टि
लो जाती हूँ कहकर इतना ही पलट-पलट देखती हूँ ढूँढ़ती हूँ तुम्हारी अकुलाहट मेरे चले जाने की कनखियों से रिक्तता दीखती है भयभीत मैं अनायास छूटती हूँ दृश्य से। •प्रतिभा किरण
समझौता
ऋतु नहीं यह समझौता है कुहासे का भ्रम से ओस पड़ती भीतर धीरे-धीरे मन वहीं शीतता है बाहर नहीं कोई गलन देखो कितना सूखा है बीच पथ भरमाता है आसन्न मन भीगता है कितनी कठोरता है क्या करें समझौता है •प्रतिभा किरण
ड्रोसेरा
तुम बढ़ गये हो जिस पथ पर चित-मन लथारते घिर्राते किसी तेज धुन के आह्वान पर एक वृद्ध ड्रोसेरा करता है कहीं नाकाम कोशिश कीटों को लुभाने की उसका चंगुल अब चिपचिपा नहीं तुम्हारी पसीजी हथेलियाँ विश्वसनीय समतल वहीं क्षण भर सुस्ताती मानवता फिसलती कराहती चोट खाती ऐसी ही तुम्हारी जर्जर आँखें जिनके काचाभ द्रव… Continue reading ड्रोसेरा
2021 Abel Prize
I am overjoyed with the news of the Abel prize awarded to László Lovász andAvi Wigderson. You can now see three (!) Abel laureates discussing Combinatorics — follow the links in this blog post from 2019. See also Gil Kalai’s blog post for further links to lectures.
द जैपनीज़ वाइफ़ — धूप की दैनन्दिनी
मियागीएक दिनमैं तुम्हारे पास आऊंगानदी में तैरती हुई एक नाव की तरह~ स्नेहमोय “द जैपनीज़ वाइफ़” सिनेमा के रूप में कविताओं की एक लम्बी श्रृंखला है। जिसमें अनुराग, स्नेह, पीड़ा और रिक्त पड़ी कामोत्तेजना के साथ कभी ना समाप्त होने वाली मृत्यु है। किंतु उस मृत्यु में कोई कुतूहल नहीं कोई व्यग्रता नहीं बस एक […]द… Continue reading द जैपनीज़ वाइफ़ — धूप की दैनन्दिनी
सहमति
लो बीत रहे हैं ये दिन और देख सकती हूँ कि आने वाले दिनों में जब मैं छोड़ चुकी होऊँगी लिखना हो सकता है मैं रेंग जाऊँ इन चीटियों के साथ जो मेरे अचेतन मन में जमा करती हैं लाशें या उड़ ही जाऊँ उस चिड़िया के साथ जो कभी भी मेरे छत पर दाने… Continue reading सहमति
ईश्वर की पात्रता
Photograph: Google लो लौटा रही हूँ तुमको ईश्वर मेरी प्रार्थनाएँ सुनने का ऋण अब देख लो हिसाब-किताब लोगों ने कहा तुम्हें चाहिए एक सुगन्धित कविता जो कि मेरे पास तो नहीं रखती हूँ अब सामने यह गरीब भूख की बासी कविता सिंहासन छोड़ो ईश्वर आओ पालथी मार कर साथ में तोड़ते हैं निवाला तुम भी… Continue reading ईश्वर की पात्रता
आवश्यकता के अतिरिक्त
Photograph: Gabriel Isak गति आरम्भ करने के लिए विराम आवश्यक है आवश्यक है ठोकर लगना सम्भलना न सम्भलना हमारे ऊपर टूटे कन्धों के मानिन्द दूसरा कन्धा नहीं होता आवश्यक है टूटे पर ही सिर टिकाना यात्राओं में लिखे गए शब्द अर्थ में धीरे-धीरे डूबते हैं लेते हैं हजारों यात्राओं का समय बलवान समय जो किताबों… Continue reading आवश्यकता के अतिरिक्त
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